


9 जुलाई पृथ्वी के इतिहास का सबसे छोटा दिन हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है इस अनोखी घटना की वजह पृथ्वी की अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार पहले से ज्यादा हो जाना है। वैज्ञानिकों ने बुधवार के अलावा 22 जुलाई और 5 अगस्त के दिन भी सामान्य से 1.3-1.51 मिलीसेकंड छोटे होने की संभावना जताई है। इन दिनों में चंद्रमा पृथ्वी के भूमध्य रेखा से सबसे दूर होगा। वैज्ञानिकों ने धरती के घूमने की रफ्तार में बदलाव की वजह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के कमजोर होने, चंद्रमा की स्थिति, पिघलते ग्लेशियर और पृथ्वी के अंदरूनी हिस्से में होने वाली गतिविधियों को कहा है।
लिवरपूल विश्वविद्यालय के भूभौतिकीविद रिचर्ड होल्मे ने लाइव साइंस से कहा कि वैज्ञानिकों ने 2020 और 2022 में परमाणु घड़ियों का विश्लेषण करते हुए ये पाया है कि धरती के घूमने की रफ्तार बढ़ी रही है। परमाणु घड़ियां समय मापने के लिए परमाणुओं के कंपन का इस्तेमाल करती हैं। पिछले साल 5 जुलाई को भी वैज्ञानिकों ने 24 घंटे से कम का दिन रिकॉर्ड किया था।
आम जीवन पर होगा असर!
वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने की गति अप्रत्याशित रूप से बढ़ने की वजह से दिन छोटा हो रहा है। हालांकि दिन के समय में यह बदलाव मिलीसेकेंड का होगा, जिसे आम इंसान के लिए महसूस करना संभव नहीं है और इससे आम जीवन में फर्क महसूस नहीं होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि ये छोटा सा बदलाव भी सैटेलाइट सिस्टम, जीपीएस और समय ट्रैक करने के तरीके पर असर डालेगा।